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दिल्ली

UNFPA, FP2030 और गेट्स फाउंडेशन ने भारत में परिवार नियोजन की पुनर्कल्पना पर नीति वार्ता की आयोजित 

Lokesh Badoni
Last updated: November 20, 2025 7:16 am
Lokesh Badoni Published November 20, 2025
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नई दिल्ली ।  यूनाइटेड नेशंस पॉपुलेशन फंड (UNFPA) इंडिया ने फैमिली प्लानिंग 2030 (FP2030) एशिया-पैसिफिक रीजनल हब और गेट्स फाउंडेशन के साथ मिलकर आज एक राउंडटेबल होस्ट किया, जिसमें प्रधानमंत्री की इकोनॉमिक एडवाइजरी काउंसिल (EAC-PM) और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) के सीनियर अधिकारियों के साथ-साथ डेवलपमेंट पार्टनर, एकेडेमिया और सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधि शामिल हुए। चर्चा भारत के विकसित हो रहे जनसांख्यिकीय परिदृश्य पर केंद्रित थी, जिसकी पहचान घटती प्रजनन दर (fertility rates) और गुणवत्तापूर्ण परिवार नियोजन सेवाओं तक पहुंच का विस्तार करने की निरंतर आवश्यकता है । राउंडटेबल में बदलती आबादी के हिसाब से फैमिली प्लानिंग पॉलिसी और प्रोग्राम को मजबूत करने के लिए एक आगे का विजन पेश किया गया।

यह राउंडटेबल एक अहम समय पर हो रहा है। भारत का टोटल फर्टिलिटी रेट (TFR) 2.0 पर आ गया है, जो 2.1 के रिप्लेसमेंट लेवल से नीचे है, फिर भी लाखों महिलाओं को वे फैमिली प्लानिंग सर्विस नहीं मिल पा रही हैं जिनकी उन्हें ज़रूरत है। 9.4 प्रतिशत ज़रूरतें पूरी नहीं हो पा रही हैं, और यह अंतर लगभग 470 लाख महिलाओं पर असर डालता है, जो परिवार नियोजन में पहुँच, पसंद और गुणवत्ता को मजबूत करने के महत्व को रेखांकित करता है|

UNFPA इंडिया की प्रतिनिधि एंड्रिया एम. वोनर ने कहा, “भारत अपनी जनसांख्यिकीय यात्रा में एक निर्णायक मोड़ पर खड़ा है । मौजूदा प्रजनन रुझानों के साथ, ध्यान को प्रजनन अधिकारों, पसंद और सभी के लिए प्रजनन स्वास्थ्य के पूर्ण स्पेक्ट्रम का समर्थन करना चाहिए । यह चर्चा भविष्य के लिए तैयार, साक्ष्य-आधारित परिवार नियोजन एजेंडे को आकार देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो लोगों को, विशेष रूप से युवा महिलाओं और जिनकी ज़रूरतें पूरी नहीं हुई हैं, उन्हें राष्ट्रीय नीति और सामाजिक-आर्थिक विकास के केंद्र में रखता है|

डॉ. शमिका रवि, प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) की सदस्य ने टिप्पणी की, “भारत एक विविध देश है, और यह विविधता सटीक नीति निर्माण की मांग करती है । हर ब्लॉक, हर गाँव, हर क्षेत्र अलग है – प्रत्येक की अपनी सामाजिक वास्तविकताएँ, ज़रूरतें और चुनौतियाँ हैं । ‘एक ही आकार सभी के लिए उपयुक्त’ (one-size-fits-all) का दृष्टिकोण नहीं हो सकता । वास्तविक प्रभाव देने के लिए, हमें अपनी रणनीतियों का स्थानीयकरण करना होगा और ऐसे हस्तक्षेपों को डिज़ाइन करना होगा जो देश के हर कोने में ज़मीन पर क्या हो रहा है, उस पर प्रतिक्रिया दें ।”

मिनिस्ट्री ऑफ़ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर (MoHFW) के नेशनल हेल्थ मिशन की एडिशनल सेक्रेटरी और मिशन डायरेक्टर, आराधना पटनायक ने कहा, “हमें याद रखना चाहिए कि फैमिली प्लानिंग महिलाओं का प्रोग्राम नहीं है — यह एक फैमिली प्रोग्राम है। इसीलिए, सास-बहू सम्मेलनों के साथ-साथ, मिनिस्ट्री सास-बहू-पति सम्मेलन भी करती है ताकि यह पक्का किया जा सके कि पति-पत्नी को मिलकर फ़ैसले लेने चाहिए। जब ​​कपल्स ज़िम्मेदारी और फ़ैसले शेयर करते हैं, तो हम उन चीज़ों के करीब पहुँचते हैं जो सच में मायने रखती हैं: हेल्दी माँ, हेल्दी बच्चे और हेल्दी परिवार। पार्टनरशिप ही असली रिप्रोडक्टिव चॉइस का आधार है।”

आराधना पटनायक, एडिशनल सचिव और मिशन निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) ने कहा, “हमें याद रखना चाहिए कि परिवार नियोजन केवल महिलाओं का प्रोग्राम नहीं है — यह एक परिवार का प्रोग्राम है । इसीलिए, सास-बहू सम्मेलनों के साथ-साथ, मंत्रालय सास-बहू-पति सम्मेलनों का भी आयोजन करता है ताकि यह सुदृढ़ किया जा सके कि पति-पत्नी को मिलकर चुनाव करने चाहिए । जब जोड़े जिम्मेदारी और निर्णय साझा करते हैं, तो हम वास्तव में जो मायने रखता है, उसके करीब पहुँचते हैं: स्वस्थ माताएँ, स्वस्थ बच्चे और स्वस्थ परिवार। पार्टनरशिप ही असली रिप्रोडक्टिव चॉइस का आधार है।”

चर्चा में इस बात पर ज़ोर दिया गया कि भारत ने काफ़ी तरक्की की है, लेकिन फैमिली प्लानिंग का एजेंडा अभी भी अधूरा है। इन्वेस्टमेंट बनाए रखने और प्रजनन स्वास्थ्य की परिभाषा को बड़ा करके इसमें बांझपन देखभाल (इनफर्टिलिटी केयर) को शामिल करने पर ज़ोर दिया गया। प्रतिभागियों ने भविष्य की परिवार नियोजन रणनीतियों और प्राथमिकताओं का मार्गदर्शन करने के लिए नीतिगत विकास का आह्वान किया, साथ ही प्रजनन दर की परवाह किए बिना, पसंद-आधारित सिद्धांतों पर हितधारकों के बीच तालमेल मजबूत करने पर भी जोर दिया ।

पैनल चर्चाओं में खास विषयों पर बात हुई, जैसे कि गर्भनिरोधक के तरीकों को बढ़ाना, बांझपन सेवाओं को जोड़ना, और किशोरों और युवाओं की प्रजनन स्वास्थ्य की ज़रूरतों को पूरा करना। कार्यक्रम का समापन सरकार, विकास भागीदारों और नागरिक समाज के बीच सहयोग को मजबूत करने के आह्वान के साथ हुआ, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भारत में परिवार नियोजन लोगों पर केंद्रित, समावेशी और बदलते प्रजनन रुझानों के प्रति उत्तरदायी बना रहे ।

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