शांतिकुंज परिवार की सेवा समर्पण के साथ साथ “चरैवेति चरैवेति, के सिद्धांत पर चलकर भगवान के अनुग्रह माता-पिता और गुरु सत्ता के आशीष व कठिन परिश्रम से सही निर्णय सबको श्रैय और सम्मान देता हुआ आया है। शांतिकुंज योग भारतीय धर्म दर्शन ,अध्यात्म संस्कृति एवं सभ्यता का मूल तत्व है। शांतिकुंज परिवार ने हमारे पूर्वजों को ऋषि मुनियों जैसा वह हमारे पूर्वजों का ज्ञान जीवन और चरित्र बहुत ही ऊंचा एवं पवित्र है।इस दिव्य जीवन जीने की सदा सबको प्रेरणा दी है। जीवन व जगत में भगवान का साम्राज्य स्थापित करते हुए जब जब गायत्री परिवार को सेवा स्वच्छता का अवसर मिलता है। तब तब गायत्री परिवार की साधक पूरे मनोयोग पूर्वक जुट जाता है। गंगा सप्तमी के पावन अवसर पर शांतिकुंज के हजारों साधकों ने भागीरथी बिंदु ठोकर नंबर 1 से 20 तक के गंगा घाटों पर वृहद स्तर पर स्वच्छता अभियान चलाया। इस दौरान पीत वस्त्र धारी साधकों ने गंगा मैया की गोद में फंसे कई टन कूड़े कचरे को निकालकर बाहर किया। कई साधकों के पैरों में चोट आ जाने के बाद भी वह पूरी तन्मयता के साथ सफाई अभियान में जुटे दिखे हालांकि शांतिकुंज परिवार के चिकित्सकों ने गंगा के निकट ही प्राथमिक उपचार कर दिया है। गंगा की अविरल धारा को निर्मल प्रवाहित होती रहै। इसके लिए शांतिकुंज के साधकों ने मानव श्रृंखला बनाकर गंगा की गोद से कूड़ा कचरा निकाल कर उसे एक जगह इकट्ठा किया । सफाई अभियान में शांतिकुंज के अंतेवासी कार्यकर्ता भाई बहन सहित विभिन्न प्रशिक्षण शिविर में आए नर नारियों ने प्रतिभाग किया।
यह स्वच्छता अभियान अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रमुख डॉक्टर प्रणव पांडे एवं शीला दीदी की प्रेरणा से गंगा की निर्मल धारा निर्मल अविरल प्रवाह होती रहै। इसके लिए शांतिकुंज परिवार हर वर्ष स्वच्छता अभियान चलाया जाता है। स्वच्छता अभियान के व्यवस्थापक महेन्द्र शर्मा के निर्देशन चलाया गया है।