पुरोला उतरकाशी
विश्व शांति मानव कल्याण प्रदेश व राष्ट्र की सुख-समृद्धि के लिए खेल मैदान पुरोला में श्री अष्टादश महापुराण के 10 वें दिन श्रद्धालुओं की हजारों की संख्या में उमड़ा जनसैलाब। अष्टादश महापुराण में सम्पूर्ण यमुना घाटी के विभिन्न क्षेत्रों से 41 देव डोलियों का महासंगम है। देव डोलियों के दर्शनों के लिए सुबह-शाम भक्तो का तांता लगा हुआ है। 51 व्यासगणों सहित वैदिक मंत्रोच्चार से नगर पालिका परिषद पुरोला व सम्पूर्ण क्षेत्र का वातावरण भक्तिमय वेद ध्वनि से गुंजायमान है।
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पुरोला उतरकाशी विश्व शांति मानव कल्याण प्रदेश व राष्ट्र की सुख-समृद्धि के लिए खेल मैदान पुरोला में श्री अष्टादश महापुराण के 10 वें दिन श्रद्धालुओं की हजारों की संख्या में उमड़ा जनसैलाब। अष्टादश महापुराण में सम्पूर्ण यमुना घाटी के विभिन्न क्षेत्रों से 41 देव डोलियों का महासंगम है। देव डोलियों के दर्शनों के लिए सुबह-शाम भक्तो का तांता लगा हुआ है। 51 व्यासगणों सहित वैदिक मंत्रोच्चार से नगर पालिका परिषद पुरोला व सम्पूर्ण क्षेत्र का वातावरण भक्तिमय वेद ध्वनि से गुंजायमान है।ब्रह्म पुराण के रूप आचार्य मोहन प्रसाद उनियाल व द्वितीय वक्ता के रूप में आचार्य सुरेश उनियाल ने विष्णु महापुराण के रूप में प्रवचन करते हुए कहा है कि भगवान की कथा ही कलियुग के पाप.ताप. संताप से दूर हो सकतें हैं। आचार्य सुरेश ने कहा कि विष्णु पुराण में कलियुग के अंत और उस भयानक रात का जिक्र है, जो सब कुछ खत्म कर देगी. पाप अपनी चरम सीमा तक पहुंच जाएंगे कलियुग के अंत में लोग केवल पैसों को ही सबसे ज़्यादा महत्व देंगे. रिश्ते, दोस्ती और सम्मान सब स्वार्थ और धन पर टिके होंगे. अच्छे गुणों की कोई कदर नहीं होगी, और अमीर चाहे जैसा हो, उसे ऊँचा दर्जा मिलेगा. मुख्यब्यास श्री शिव प्रसाद नोटियाल ने शिव महापुराण भगवान शिव की शक्ति, भक्ति, और महिमा का वर्णन करने वाला एक महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथ है। यह सभी पुराणों में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है, जिसमें भगवान शिव के विविध रूपों, अवतारों, ज्योतिर्लिंगों, भक्तों और भक्ति का विशद् वर्णन किया मुख्यब्यास ने भारतीय संस्कृति की महिमा को बताते हुए कहा हिन्दू संस्कृति में विभिन्नता में एकता की भावना है, जहाँ अलग-अलग क्षेत्रों और समुदायों के लोग एक साथ रहते हैं और एक-दूसरे की संस्कृति को सम्मान करते हैं. आचार्य शिवप्रसाद ने बताया किहिन्दू संस्कृति में अनुशासन और शिष्टाचार को बहुत महत्व दिया जाता है,हिन्दू संस्कृति धर्म और कर्म के महत्व को दर्शाती है, और यह विश्वास करती है कि जीवन के सभी कार्य ईश्वर की इच्छा के अनुसार ही होते हैं. मुख्यब्यास ने कहा 28 मई से 7 जून 2025 तक चलने वाले अष्टादश महापुराण का समापन व्यापार मण्डल पुरोला के द्वारा भण्डारे का आयोजन किया जाएगा। भण्डारे के ही साथ विभिन्न क्षेत्रों से आए देव डोलियां अपने गन्तव्य स्थानों पर प्रस्थान करेगी।इस अवसर पर अष्टादश महापुराण ज्ञान यज्ञ समिति के अध्यक्ष उपेन्द्र असवाल सचिव बृजमोहन सजवाण, यज्ञ संचालक डा. शेखर नोटियाल,विक्रम रावत, राकेश पंवार, ओमप्रकाश नोडियाल, राधाकृष्ण बडोनी, बद्री प्रसाद नौडियाल जोगेंद्र सिंह चौहान लोकेश उनियाल अष्टादश महापुराणों के वक्ता आचार्य आनन्द मोहन डोभाल, आचार्य संन्तोश खण्डूरी, आचार्य राजेन्द्र सेमवाल आचार्य संजीव बडोनी यज्ञाचार्य आचार्य प्रकाश बहुगुणा ,महादेव नोटियाल,राधेश्याम नोटियाल, पवन उनियाल, नवीन नोटियाल, मनमोहन बडोनी, बृजेश नोटियाल, गीताराम गैरोला, मनोज भास्कर मनोज गैरोला सहित हजारों की संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।
ब्रह्म पुराण के रूप आचार्य मोहन प्रसाद उनियाल व द्वितीय वक्ता के रूप में आचार्य सुरेश उनियाल ने विष्णु महापुराण के रूप में प्रवचन करते हुए कहा है कि भगवान की कथा ही कलियुग के पाप.ताप. संताप से दूर हो सकतें हैं। आचार्य सुरेश ने कहा कि विष्णु पुराण में कलियुग के अंत और उस भयानक रात का जिक्र है, जो सब कुछ खत्म कर देगी. पाप अपनी चरम सीमा तक पहुंच जाएंगे कलियुग के अंत में लोग केवल पैसों को ही सबसे ज़्यादा महत्व देंगे. रिश्ते, दोस्ती और सम्मान सब स्वार्थ और धन पर टिके होंगे. अच्छे गुणों की कोई कदर नहीं होगी, और अमीर चाहे जैसा हो, उसे ऊँचा दर्जा मिलेगा. मुख्यब्यास श्री शिव प्रसाद नोटियाल ने शिव महापुराण भगवान शिव की शक्ति, भक्ति, और महिमा का वर्णन करने वाला एक महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथ है। यह सभी पुराणों में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है, जिसमें भगवान शिव के विविध रूपों, अवतारों, ज्योतिर्लिंगों, भक्तों और भक्ति का विशद् वर्णन किया मुख्यब्यास ने भारतीय संस्कृति की महिमा को बताते हुए कहा हिन्दू संस्कृति में विभिन्नता में एकता की भावना है, जहाँ अलग-अलग क्षेत्रों और समुदायों के लोग एक साथ रहते हैं और एक-दूसरे की संस्कृति को सम्मान करते हैं. आचार्य शिवप्रसाद ने बताया कि
हिन्दू संस्कृति में अनुशासन और शिष्टाचार को बहुत महत्व दिया जाता है,हिन्दू संस्कृति धर्म और कर्म के महत्व को दर्शाती है, और यह विश्वास करती है कि जीवन के सभी कार्य ईश्वर की इच्छा के अनुसार ही होते हैं. मुख्यब्यास ने कहा 28 मई से 7 जून 2025 तक चलने वाले अष्टादश महापुराण का समापन व्यापार मण्डल पुरोला के द्वारा भण्डारे का आयोजन किया जाएगा। भण्डारे के ही साथ विभिन्न क्षेत्रों से आए देव डोलियां अपने गन्तव्य स्थानों पर प्रस्थान करेगी।

