पुरोला उतरकाशी
संजय बडोनी ग्राम रौन, पट्टी रामा सिराईं यमुना घाटी उतरकाशी उत्तराखंड का निवासी है। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय के साथ 2007 से सतत् सम्बन्ध है। संजय बडोनी का उत्तराखंड की पारंपरिक संस्कृति के संरक्षण में विशेष योगदान रहा है। उत्तराखंड के एक कृषक परिवार में उत्पन्न ने इतिहास में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त करने के वाद विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़े हुए संजय ने स्वास्थ्य, पर्यावरण, पलायन,जैविक खेती,शिक्षा एवं संस्कृति के संरक्षण व जागरूकता को अपनी कर्मभूमि के रूप में चुना।

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पुरोला उतरकाशीसंजय बडोनी ग्राम रौन, पट्टी रामा सिराईं यमुना घाटी उतरकाशी उत्तराखंड का निवासी है। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय के साथ 2007 से सतत् सम्बन्ध है। संजय बडोनी का उत्तराखंड की पारंपरिक संस्कृति के संरक्षण में विशेष योगदान रहा है। उत्तराखंड के एक कृषक परिवार में उत्पन्न ने इतिहास में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त करने के वाद विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़े हुए संजय ने स्वास्थ्य, पर्यावरण, पलायन,जैविक खेती,शिक्षा एवं संस्कृति के संरक्षण व जागरूकता को अपनी कर्मभूमि के रूप में चुना।उत्तराखंड के एक कृषक परिवार में उत्पन्न संजय बडोनी ने इतिहास में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त करने के पारम्परिक तकनीक एवं स्थानीय संस्कृति के अच्छे जानकार संजय बडोनी के सहयोग से संग्रहालय द्वारा मुक्ताकाश प्रदर्शनी में हिमालय ग्राम तथा पारम्परिक तकनीकी उद्यान हेतु दो महत्वपूर्ण प्रादों क्रमशः कोठार व घराट का संकलन एवं प्रतिस्थापन संभव हो सका है।उत्तराखंड के दुर्गम लोक तथा जनजातीय क्षेत्रों में संग्रहालय उपयोगी प्रादों के संकलन में सहयोगी भूमिका निभाते रहे, संजय ने पारम्परिक तकनीकी उद्यान मुक्ताकाश प्रदर्शनी में उत्तराखंड से संकलित एक अत्यंत अनोखे प्रादों जल संचालित चमकी ‘घराट’ की स्थापना की।
