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उत्तरकाशीउत्तराखंडसंस्कृति

शिव सौंदर्य सद्भाव और समर्पण जैसे सद्गुणों की सुंदर अभिव्यक्ति नारी के माध्यम से धरती पर हुई है । आचार्य मधुर

Lokesh Badoni
Last updated: December 27, 2024 12:30 am
Lokesh Badoni Published December 27, 2024
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     सम्पादकीय

भारतीय संस्कृति को पूरब की संस्कृति माना जाता है। भगवान सूर्य पूर्व में उदय होते हैं वह संपूर्ण संसार को प्रकाश, प्राण एवं प्रज्ञा प्रदान करते हैं। कहने का तात्पर्य है कि भारतीय संस्कृति को यह उत्तरदायित्व दिया गया है कि वह पूरे विश्व का उचित मार्गदर्शन करें। इसी कारण अपनी संस्कृति अपना देश जगतगुरु के नाम से वंदनीय रहा है। शिव सौंदर्य सद्भाव और समर्पण जैसे सद्गुणों की सुंदर अभिव्यक्ति नारी के माध्यम से धरती पर हुई है इसलिए भारतीय संस्कृति नारी के सम्मान और पूजन का संदेश देती है। नारी को भारतीय समाज में शक्ति की संज्ञा से विभूषित किया गया है। क्योंकि वह इस धरती का भाग्य नए सिरे से गाड़ने की सामर्थ्य रखती है धरती के नवनिर्माण धरती पर उज्जवल भविष्य लाने में उसकी महत्व पूर्ण भूमिका है नारी को भारतीय संस्कृति में अनेक रूप में स्वीकार किया है कभी मीरा के रूप में भक्ति की आवश्यकता है तो कभी दुर्गा के रूप में शक्ति की । भारत का समाज नारी को उन्हें रूपों में स्वीकार करता है वह सियाराम राधा कृष्ण के रूप में उनका प्रधानता वह सम्मान देता रहा है । गृहलक्ष्मी के महान पद पर नारी को प्रतिष्ठित किया गया है माता की गरिमा से सुशोभित किया गया है । स्वतंत्रता आंदोलन के समय अनेक महान नारियों ने इस राष्ट्र की रक्षा के लिए बड़े से बड़े त्याग वह बलिदान की आदर्श प्रस्तुत किया अंग्रेजों की मनमानी को स्वीकार न कर रण क्षेत्र में कूदने वाली वीरांगना लक्ष्मीबाई और उनकी सहेलियों ने अपने व परिवार के प्राणों की परवाह न कर जीवन की बाजी लगा दी और भारतीय समाज को एक नया जोश नया उत्साह नई आशाएं नवीन शक्ति का संचार किया यही कारण है कि भारतीय समाज नारी को शक्ति के रूप में स्वीकार करता है।

Contents
     सम्पादकीयभारतीय संस्कृति को पूरब की संस्कृति माना जाता है। भगवान सूर्य पूर्व में उदय होते हैं वह संपूर्ण संसार को प्रकाश, प्राण एवं प्रज्ञा प्रदान करते हैं। कहने का तात्पर्य है कि भारतीय संस्कृति को यह उत्तरदायित्व दिया गया है कि वह पूरे विश्व का उचित मार्गदर्शन करें। इसी कारण अपनी संस्कृति अपना देश जगतगुरु के नाम से वंदनीय रहा है। शिव सौंदर्य सद्भाव और समर्पण जैसे सद्गुणों की सुंदर अभिव्यक्ति नारी के माध्यम से धरती पर हुई है इसलिए भारतीय संस्कृति नारी के सम्मान और पूजन का संदेश देती है। नारी को भारतीय समाज में शक्ति की संज्ञा से विभूषित किया गया है। क्योंकि वह इस धरती का भाग्य नए सिरे से गाड़ने की सामर्थ्य रखती है धरती के नवनिर्माण धरती पर उज्जवल भविष्य लाने में उसकी महत्व पूर्ण भूमिका है नारी को भारतीय संस्कृति में अनेक रूप में स्वीकार किया है कभी मीरा के रूप में भक्ति की आवश्यकता है तो कभी दुर्गा के रूप में शक्ति की । भारत का समाज नारी को उन्हें रूपों में स्वीकार करता है वह सियाराम राधा कृष्ण के रूप में उनका प्रधानता वह सम्मान देता रहा है । गृहलक्ष्मी के महान पद पर नारी को प्रतिष्ठित किया गया है माता की गरिमा से सुशोभित किया गया है । स्वतंत्रता आंदोलन के समय अनेक महान नारियों ने इस राष्ट्र की रक्षा के लिए बड़े से बड़े त्याग वह बलिदान की आदर्श प्रस्तुत किया अंग्रेजों की मनमानी को स्वीकार न कर रण क्षेत्र में कूदने वाली वीरांगना लक्ष्मीबाई और उनकी सहेलियों ने अपने व परिवार के प्राणों की परवाह न कर जीवन की बाजी लगा दी और भारतीय समाज को एक नया जोश नया उत्साह नई आशाएं नवीन शक्ति का संचार किया यही कारण है कि भारतीय समाज नारी को शक्ति के रूप में स्वीकार करता है।भारत की नारी दिव्यता और सद्गुणों के लिए विश्वविख्यात रही है , मर्यादा शालीनता, सहयोग ,सद्भावना उसमें कूट-कूट कर भरी है, यह सभी कुछ आज भी बीज रूप में भीतर विद्यमान है ।यद्यपि पिछले 20 वर्षों से बाहरी आवरण बदलता जा रहा है इंटरनेट और मोबाइल के बढ़ते प्रभाव से एक बड़ी विकृति समाज में उत्पन्न होती जा रही है आज पुनः ऐसी नारियों का आवाहन किया जा रहा है जो इस उबरते हुए विनाश से समाज की रक्षा के लिए सामने आए । उच्च चरित्र मर्यादा पूर्ण जीवन भारतीय वेशभूषा इन सबको जो पसंद करती हो वह एक आदर्श अभियान चलाएं जैसे मदिरा के नशे में व्यक्ति विवेक को खो देता है।हैं वैसे ही वासना का नाश भी समाज को जघन्य अत्याचारों की तरफ धकेल रहा है ।इसके लिए महिलाओं का चाल चलन और भड़काऊ आवरण बहुत दोषी है । फिल्मों के माध्यम से भड़काऊ फैशन , टीवी इंटरनेट से चरित्र,चाल चलन इसको शीघ्र ही रोका जाना चाहिए। भारत मां की पुकार है कि नारी अपने महान स्वरुप में प्रतिष्ठित हो संस्कृति और नारी का अस्तित्व एक ही है, यदि दोनों में से एक पतन होता है तो दूसरे का पतन स्वत ही हो जाता है। बड़ा ही गौरवशाली इतिहास रहा है भारत की नारी का। आज आवश्यकता है कि नारी स्वयं को भक्ति व शक्ति दोनों रूप में विकसित करें । समाज को भक्ति रुपी शीतलता व शांति की आवश्यकता है । भौतिकवाद की अग्नि में जलते समाज को भक्ति रुपी माता की आवश्यकता है।साथ-साथ गलत परंपराओं गलत चाल चलन को रोकने के लिए उनको संघर्ष करने के लिए दुर्गा शक्ति की आवश्यकता है। सुना है की इतिहास अपने को दोहराता है आज फिर से इतिहास अपने पन्नों को पलट रहा है तुम में से कोई गार्गी है तो कोई मैत्रयी है कोई सीता है तो कोई सावित्री तुम सब महाशक्ति संपन्न है। आवश्यकता है बस शक्ति को अपने अंदर अनुभव और जागृत करने की ।अपनी संस्कृति अपने राष्ट्र को प्रेम करने वाले लोग एकजुट होकर कुछ ठोस व कठोर कदम उठाकर समाज को अनुशासित करने का प्रयास करें तभी समस्याओं का समाधान हो पाएगा। और हम सभी अखण्ड हिन्दू राष्ट्र व विश्व गुरु होने का गौरव प्राप्त कर सकें।    समस्त मातृशक्ति को प्रणाम

भारत की नारी दिव्यता और सद्गुणों के लिए विश्वविख्यात रही है , मर्यादा शालीनता, सहयोग ,सद्भावना उसमें कूट-कूट कर भरी है, यह सभी कुछ आज भी बीज रूप में भीतर विद्यमान है ।

यद्यपि पिछले 20 वर्षों से बाहरी आवरण बदलता जा रहा है इंटरनेट और मोबाइल के बढ़ते प्रभाव से एक बड़ी विकृति समाज में उत्पन्न होती जा रही है आज पुनः ऐसी नारियों का आवाहन किया जा रहा है जो इस उबरते हुए विनाश से समाज की रक्षा के लिए सामने आए । उच्च चरित्र मर्यादा पूर्ण जीवन भारतीय वेशभूषा इन सबको जो पसंद करती हो वह एक आदर्श अभियान चलाएं जैसे मदिरा के नशे में व्यक्ति विवेक को खो देता है।हैं वैसे ही वासना का नाश भी समाज को जघन्य अत्याचारों की तरफ धकेल रहा है ।इसके लिए महिलाओं का चाल चलन और भड़काऊ आवरण बहुत दोषी है । फिल्मों के माध्यम से भड़काऊ फैशन , टीवी इंटरनेट से चरित्र,चाल चलन इसको शीघ्र ही रोका जाना चाहिए। भारत मां की पुकार है कि नारी अपने महान स्वरुप में प्रतिष्ठित हो संस्कृति और नारी का अस्तित्व एक ही है, यदि दोनों में से एक पतन होता है तो दूसरे का पतन स्वत ही हो जाता है। बड़ा ही गौरवशाली इतिहास रहा है भारत की नारी का। आज आवश्यकता है कि नारी स्वयं को भक्ति व शक्ति दोनों रूप में विकसित करें । समाज को भक्ति रुपी शीतलता व शांति की आवश्यकता है । भौतिकवाद की अग्नि में जलते समाज को भक्ति रुपी माता की आवश्यकता है।साथ-साथ गलत परंपराओं गलत चाल चलन को रोकने के लिए उनको संघर्ष करने के लिए दुर्गा शक्ति की आवश्यकता है।
सुना है की इतिहास अपने को दोहराता है आज फिर से इतिहास अपने पन्नों को पलट रहा है तुम में से कोई गार्गी है तो कोई मैत्रयी है कोई सीता है तो कोई सावित्री तुम सब महाशक्ति संपन्न है। आवश्यकता है बस शक्ति को अपने अंदर अनुभव और जागृत करने की ।अपनी संस्कृति अपने राष्ट्र को प्रेम करने वाले लोग एकजुट होकर कुछ ठोस व कठोर कदम उठाकर समाज को अनुशासित करने का प्रयास करें तभी समस्याओं का समाधान हो पाएगा। और हम सभी अखण्ड हिन्दू राष्ट्र व विश्व गुरु होने का गौरव प्राप्त कर सकें।

    समस्त मातृशक्ति को प्रणाम

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