सम्पादकीय
संसार में लोग सभा में बैठकर बड़ी-बड़ी बातें करते हैं। बड़े अच्छे-अच्छे प्रस्ताव पारित करते हैं। परंतु जब उनको व्यवहार में या जीवन में लाने का अवसर आता है, तो उनमें से बहुत सी बातें धरी की धरी रह जाती हैं। *”क्योंकि सब लोगों के विचार एक समान नहीं होते। सबकी रुचि एक जैसी नहीं होती। सबके अंदर सरलता सभ्यता सेवा परोपकार दान दया आदि उत्तम गुण नहीं होते। इन गुणों की कमी के कारण, तथा आलस्य प्रमाद ईर्ष्या द्वेष जलन और अभिमान आदि दोषों के कारण व्यक्ति दूसरे की उन्नति देखना नहीं चाहता। यदि कोई अपने पुरुषार्थ से आगे बढ़ भी जाए, तो दूसरे लोग उसकी टांग खींचते हैं, उसे आगे नहीं बढ़ने देते। बस फिर परिणाम वही होता है कि बातें बड़ी-बड़ी होती हैं पर आचरण कुछ विशेष नहीं हो पाता।”*
*”कुछ लोग ईश्वर प्रदत्त योग्यता से माता-पिता गुरुजनों और समाज के सहयोग से कुछ धन बल विद्या आदि प्राप्त कर लेते हैं।” परंतु जैसे ही उनके पास ये संपत्तियां आ जाती हैं, उनमें एक भयंकर दोष उत्पन्न हो जाता है वह है “अभिमान।”* यह अभिमान व्यक्ति के विनाशक दोषों में से लगभग दूसरे नंबर पर है। इसका भी एक और कारण है, वह है अविद्या। *”वह अविद्या, अभिमान से भी बड़ा दोष है। इसीलिए वह विनाशक कारणों में सबसे पहले नंबर पर है।”*
*”जब लोग कुछ धन-बल विद्या आदि प्राप्त कर लेते हैं, तो कुछ अच्छे लोग इन चीजों को दूसरों को बांटने का प्रयास करते हैं। और कुछ मात्रा में बांट भी देते हैं। अच्छे अच्छे गुण धन संपत्ति बांटना तो बहुत अच्छी बात है।”*
*”परन्तु जब व्यक्ति में अच्छे अच्छे गुणों और उत्तम कर्मों को करने से अभिमान आ जाता है, तब वह दूसरों के साथ प्रायः अनेक प्रकार के दुर्व्यवहार करने लगता है।”*
अभिमान नामक यह दोष ईश्वर का दिया हुआ नहीं है। यह व्यक्ति का अपना बनाया हुआ है। और इस अभिमान के कारण वह यहां तक भी सोचता है, कि *”अब मैं भगवान को भी कुछ दूं। अब मेरे पास भी बहुत कुछ है।” “परंतु यदि वास्तव में देखा जाए, तो उसके पास जो भी संपत्तियां हैं, वे सब ईश्वर माता पिता और समाज के सहयोग से मिली हैं, उसकी अपनी नहीं हैं। व्यक्ति की अपनी संपत्ति तो मुख्य रूप से अभिमान ही है।”*
अतः यदि आप ईश्वर को कुछ भेंट करना ही चाहते हैं, तो *”अपने अभिमान को भेंट कर दीजिए।” “आप बिल्कुल हल्के हो जाएंगे। सब अच्छे काम करेंगे। कोई भी बुरा काम नहीं करेंगे। ऐसा करने से आपका जीवन सफल हो जाएगा और ईश्वर आपको बहुत अच्छा आनन्द देगा।