आश्विन पूर्णिमा/शरद् पूर्णिमा
शरद ऋतु की पूर्णिमा को शरद् पूर्णिमा कहते हैं. हिन्दू धर्म में शरद् पूर्णिमा का बहुत बड़ा महत्व बताया गया है. शरद् पूर्णिमा की रात को खीर बनाकर चांदनी रात में रखने की परंपरा लंबे समय से चली आ रही है. ऐसा माना जाता है ऐसा करने से खीर में औषधीय गुण आ जाते हैं जिसे ग्रहण करने पर व्यक्ति को स्वास्थ्य लाभ होता है।
इस दिन खीर बनाने का तरीका बाकी दिनों की तुलना में थोड़ा अलग होता है. शरद् पूर्णिमा के दिन खीर बनाने के लिए व्यक्ति को कुछ खास नियमों का पालन करना पड़ता है. जिसकी अनदेखी करने पर व्यक्ति को इस व्रत का पूरा लाभ नहीं मिल पाता है. आइए जानते हैं क्या है इस दिन खीर से जुड़े ये कुछ खास नियम।
*खीर का बर्तन कैसा हो*
============≈=====
सबसे पहले खीर बनाते समय या चांदनी रात में रखने से पहले उसके पात्र का ध्यान रखें. शरद् पूर्णिमा के दिन खीर किसी चांदी के बर्तन में रखें. यदि चांदी का बर्तन घर में मौजूद न हो तो खीर के बर्तन में एक चांदी का चम्मच ही डालकर रख दें. इसके अलावा आप खीर रखने के लिए मिट्टी, कांसा या पीतल के बर्तनों का भी उपयोग कर सकते हैं. खीर को चांदनी रात में रखते समय ध्यान रखें कि खीर रखने के लिए कभी भी स्टील, एल्यूमिनियम, प्लास्टिक, चीनी मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल न करें. ऐसा करने पर आपकी सेहत प्रभावित हो सकती है।
*खीर बनाने का तरीका*
=======≈==========
शरद् पूर्णिमा पर बनाई जाने वाली खीर अन्य दिनों की तुलना में थोड़ी अलग होती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन बनाए जाने वाली खीर मात्र एक व्यंजन नहीं होती बल्कि यह एक दिव्य औषधि मानी जाती है. इस खीर को किसी भी दूध से नहीं बल्कि गाय के दूध और गंगाजल से बनाना चाहिए. यदि गंगाजल न हो तो शुद्ध जल लें और दोनों बराबर मात्रा में लें, अगर संभव हो सके तो प्रसाद की खीर को चांदी के बर्तन में ही बनाएं. कम से कम ०३ घण्टे खीर पर चन्द्रमा की किरणें पड़नी चाहिए।
हिन्दू धर्म में चावल को हविष्य अन्न यानी देवताओं का भोजन माना गया है. कहा जाता है कि महालक्ष्मी भी चावल से बने भोग से प्रसन्न होती हैं. संभव हो तो शरद् पूर्णिमा की खीर को चंद्रमा की ही रोशनी में बनाना चाहिए. ध्यान रखें कि इस ऋतु में बनाई खीर में केसर और मेंवों का प्रयोग न करें. दरअसल, मेवा और केसर गर्म प्रवृत्ति के होने से पित्त बढ़ा सकते हैं. खीर में सिर्फ इलायची का ही प्रयोग करना चाहिए।
शरद् पूर्णिमा पर अश्विनी नक्षत्र में चंद्रमा पूर्ण १६ कलाओं से युक्त होता है. खास बात यह है कि चंद्रमा की यह स्थिति साल में सिर्फ एक बार ही बनती है.कहा जाता है कि समुद्र मंथन के समय आश्विन महीने की पूर्णिमा पर मंथन से महालक्ष्मी प्रकट हुई. यही कारण है कि इस दिन महालक्ष्मी एवं विष्णु का पूजन किया जाता है. इस दिन रात्रि में महालक्ष्मी रात्रि में विचरण करती हैं और जो जागकर माता रानी का ध्यान करता है, उनकी कामनाएँ पूरी होती हैं।
इस रात चंद्रमा के साथ अश्विनी कुमारों को भी खीर का भोग लगाने से लाभ होता है. ऐसा करते समय अश्विनी कुमारों से प्रार्थना करनी चाहिए कि हमारी जो इन्द्रियां शिथिल हो गई हों, उनको पुष्ट करें. खीर का प्रसाद ग्रहण करने से पहले एक माला (१०८) या कम से कम २१ बार इस मन्त्र का जाप करें-
इस के पश्चात् खीर का प्रसाद ग्रहण करना चाहिए।
मान्यता है कि शरद् पूर्णिमा को रात्रि में बनी खीर को खाने से व्यक्ति की आयु, बल, तेज़ बढ़ता है तथा चेहरे पर कान्ति आने से शरीर स्वस्थ बना रहता है।
*शरद् पूर्णिमा पर कुछ उपाय*
=====================
०१~ नेत्रज्योति बढ़ाने के लिए दशहरे से शरद पूर्णिमा तक प्रतिदिन रात्रि में १५ से २० मिनट तक चन्द्रमा को देखकर त्राटक करें।
०२~ जो भी इन्द्रियां शिथिल हो गई हैं उन्हें पुष्ट करने के लिए चन्द्रमा की चांदनी में रखी खीर रखना चाहिए।
०३~ चंद्र देव,लक्ष्मी मां को भोग लगाकर वैद्यराज अश्विनी कुमारों से प्रार्थना करना चाहिए कि ‘हमारी इन्द्रियों का तेज-ओज बढ़ाएं।’ तत्पश्चात् खीर का सेवन करना चाहिए।
०४~ शरद पूर्णिमा अस्थमा के लिए वरदान की रात होती है। रात को सोना नहीं चाहिए। रात भर रखी खीर का सेवन करने से दमे का दम निकल जाएगा।
०५~ पूर्णिमा और अमावस्या पर चन्द्रमा के विशेष प्रभाव से समुद्र में ज्वार-भाटा आता है। जब चन्द्रमा इतने बड़े समुद्र में उथल-पुथल कर उसे कंपायमान कर देता है तो जरा सोचिए कि हमारे शरीर में जो जलीय अंश है, सप्तधातुएं हैं, सप्त रंग हैं, उन पर चन्द्रमा का कितना गहरा प्रभाव पड़ता होगा।
०६~ शरद पूर्णिमा पर अगर काम-विलास में लिप्त रहें तो विकलांग संतान अथवा जानलेवा बीमारी की सम्भावना बढ़ जाती है।
०७~ शरद पूर्णिमा पर पूजा, मंत्र, भक्ति, उपवास, व्रत आदि करने से शरीर तंदुरुस्त, मन प्रसन्न और बुद्धि आलोकित होती है।
०८~ इस रात सूई में धागा पिरोने का अभ्यास करने से नेत्रज्योति बढ़ती है।
०९~ शरद् पूर्णिमा की रात को घर की छत पर खीर बनाकर रखें. शरद् पूर्णिमा पर चाँद की किरणें खीर पर पड़ने पर यह औषधि के रूप में लाभ पहुँचाती है।
१०~ शरद् पूर्णिमा की रात को चाँद की चाँदनी में बैठना चाहिए।
११~ शरद् पूर्णिमा की रात को हनुमान जी की पूजा और उनके सामने चौमुखा दीपक जलाएं।
१२~ शरद् पूर्णिमा की रात में जागते हुए माँ लक्ष्मी, भगवान शिव, कुबेर और चन्द्र देव की आराधना करनी चाहिए।