बद्री- केदार मंदिर समिति में कार्यरत वेदपाठी आचार्य मृत्युंजय हिरेमठ गत दिनों हार्ट अटैक से निधन हो गया था। उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शौक संदेश भेजा है।
देश के प्रधानमंत्री सहित कई धर्माधिकारीयों ने पत्र के माध्यम से शोक संवेदनाएं व्यक्त की है। अभी तक क्षेत्र में मातम पसरा है।
मृत्युंजय हीरेमठ महज नाम ही नहीं अभी तो वेद पुराणों की ज्ञाता थे । विश्व प्रसिद्ध केदारनाथ धाम के मुख्य पुजारी रह चुके गुरु लिंग पुजारी के तीसरे पुत्र के नाम ही मृत्युंजय नहीं रखा था अभी तो मौत पर विजय प्राप्त करने की इंगित करता यह नाम प्रभु की इच्छा के कारण अल्पआयु में महज 31 वर्ष की उम्र में शिवमय हो गया है । संस्कृत से आचार्य करने के बाद अपने विषय से हटकर एम फार्मा की डिग्री प्राप्त कर बौद्धिक स्तर के बारे में समझा जा सकता है। मृत्युंजय की प्राथमिक शिक्षा सरस्वती शिशु मंदिर ऊखीमठ,इंटरमीडिएट राइंका ऊखीमठ,शास्त्री संस्कृत महाविद्यालय शौणितपुर ,आचार्य वृंदावन से तथा एम फार्मा कर्नाटक से पास आउट किया था। शिव के अन्य भक्त बनाकर लोगों को भगवान के प्रति असीम श्रद्धा करने का उद्देश्य और बाबा केदार के सानिध्य में रहने की इच्छा से शिव श्लोक व अपने प्रवचन ,भजनों से केदार घाटी ही नहीं अपितु संपूर्ण उत्तराखंड विश्व भर को लोगों की नींद से खोलने वाला असमय में परमात्मा में विलीन हो गए। उनके भाई केदारनाथ धाम के पुजारी शिव शंकर लिंग कहते हैं कि आज के युवा उनके भाई मृत्युंजय को अपना आदर्श मानकर उनका अनुसरण कर रहे थे और अपने जीवन को धन्य समझ रहे थे उनके सुवचन शिव चालीसा शिव स्तुति हार्दिक के मंत्र मुक्त करने वाले भजन आज भी युवा लोग गुनगुनाते रहते हैं ।उन्होंने बताया की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई धर्माधिकारीयों ने शोक संदेश दिया है। जीवन भर ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए वह कई पीठों पर बैठकर प्रवचन भी दिए हैं । भावपूर्ण विनम्र श्रद्धांजलि,