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सम्पादक उत्तराखण्ड अब-तक ।।पुरोला उतरकाशीजीवन को किस ढंग से जिएं, जिससे कि आपके जीवन में सुख बना रहे, और आप दुखों से बचे रहें। इसका उपाय इस प्रकार से है।प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में सुख और दुख तो आते ही रहते हैं। *”जैसे नदी के दो किनारे होते हैं, और नदी दो किनारों के बीच में बहती है। ऐसे ही जीवन रूपी नदी के भी ये दो किनारे हैं, सुख-दुख। जीवन भी सुख-दुख रूपी दो किनारों के बीच में चलता है।”*यदि जीवन में सुख आए, तब तो ठीक है। और यदि कभी दुख आ जाए, तो घबराएं नहीं। *”जैसे रात सदा नहीं रहती, ऐसे ही दुख भी सदा नहीं रहेगा।” “ऐसे सोचकर धैर्य बनाए रखें। कुछ समय में दुख भी चला जाएगा। और आप फिर से ठीक ढंग से सुख पूर्वक जीने लगेंगे।”*इसी प्रकार से कभी धन चला जाता है, कभी अधिक आ जाता है। जब धन चला जाए तब भी घबराएं नहीं और वही बात सोचें, जो ऊपर लिखी है। *”अर्थात कुछ ही समय में यह दुख भी चला जाएगा और फिर पुरुषार्थ करने पर और धन आ जाएगा।” “और यदि धन अधिक आ जाए, तब भी अभिमान न करें, विनम्रता बनाए रखें, तो आप अनेक दुखों से बच पाएंगे।”*यदि आपको कहीं सत्ता या अधिकार मिल जाए, तो वहां भी उसका दुरुपयोग न करें। *”सब के साथ न्यायपूर्वक ही व्यवहार करें। तब आप सुख शांतिपूर्वक जी सकेंगे। अन्यथा आपका तनाव चिंताएं आदि समस्याएं बढ़ जाएंगी, और आपके लिए जीवन को सुखमय ढंग से जीना कठिन हो जाएगा।”*यदि कभी कोई दूसरा व्यक्ति आपकी इच्छा के विरुद्ध कार्य करे, और आपको क्रोध आ जाए, तब भी धैर्य से अपने आप को शांत करें। *”क्योंकि क्रोध करने पर बुद्धि नष्ट हो जाती है। तब व्यक्ति गलत निर्णय लेता है, तथा गलत कदम उठाता है। जब वह गलत कदम उठाता है, तो परिणाम अच्छे नहीं होते, दुखदायक होते हैं।”**”यदि जीवन में कभी आपको सम्मान मिले, तो उस अवसर पर भी ईश्वर को सदा याद रखें। उस सम्मान का सबसे बड़ा अधिकारी ईश्वर को स्वीकार करें। यदि आप वह सम्मान ईश्वर को समर्पित कर देंगे, तो आपको बहुत आनन्द मिलेगा।”**”इस प्रकार से यदि आप अपने जीवन का प्रबंधन करें, ईश्वर को साक्षी मानकर सब कार्य करें। प्रतिदिन ओम् नाम से अथवा गायत्री मंत्र के माध्यम से ईश्वर का ध्यान करें, तो आपको ईश्वर बहुत शक्ति देगा, और आप ये सब काम कर सकेंगे, जो ऊपर बताए हैं। तब आप अपने जीवन को व्यवस्थित और सुखमय बना सकेंगे।”
सम्पादक उत्तराखण्ड अब-तक ।।
पुरोला उतरकाशी
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जीवन को किस ढंग से जिएं, जिससे कि आपके जीवन में सुख बना रहे, और आप दुखों से बचे रहें। इसका उपाय इस प्रकार से है।
प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में सुख और दुख तो आते ही रहते हैं। *”जैसे नदी के दो किनारे होते हैं, और नदी दो किनारों के बीच में बहती है। ऐसे ही जीवन रूपी नदी के भी ये दो किनारे हैं, सुख-दुख। जीवन भी सुख-दुख रूपी दो किनारों के बीच में चलता है।”*
यदि जीवन में सुख आए, तब तो ठीक है। और यदि कभी दुख आ जाए, तो घबराएं नहीं। *”जैसे रात सदा नहीं रहती, ऐसे ही दुख भी सदा नहीं रहेगा।” “ऐसे सोचकर धैर्य बनाए रखें। कुछ समय में दुख भी चला जाएगा। और आप फिर से ठीक ढंग से सुख पूर्वक जीने लगेंगे।”*
इसी प्रकार से कभी धन चला जाता है, कभी अधिक आ जाता है। जब धन चला जाए तब भी घबराएं नहीं और वही बात सोचें, जो ऊपर लिखी है। *”अर्थात कुछ ही समय में यह दुख भी चला जाएगा और फिर पुरुषार्थ करने पर और धन आ जाएगा।” “और यदि धन अधिक आ जाए, तब भी अभिमान न करें, विनम्रता बनाए रखें, तो आप अनेक दुखों से बच पाएंगे।”*
यदि आपको कहीं सत्ता या अधिकार मिल जाए, तो वहां भी उसका दुरुपयोग न करें। *”सब के साथ न्यायपूर्वक ही व्यवहार करें। तब आप सुख शांतिपूर्वक जी सकेंगे। अन्यथा आपका तनाव चिंताएं आदि समस्याएं बढ़ जाएंगी, और आपके लिए जीवन को सुखमय ढंग से जीना कठिन हो जाएगा।”*
यदि कभी कोई दूसरा व्यक्ति आपकी इच्छा के विरुद्ध कार्य करे, और आपको क्रोध आ जाए, तब भी धैर्य से अपने आप को शांत करें। *”क्योंकि क्रोध करने पर बुद्धि नष्ट हो जाती है। तब व्यक्ति गलत निर्णय लेता है, तथा गलत कदम उठाता है। जब वह गलत कदम उठाता है, तो परिणाम अच्छे नहीं होते, दुखदायक होते हैं।”*
*”यदि जीवन में कभी आपको सम्मान मिले, तो उस अवसर पर भी ईश्वर को सदा याद रखें। उस सम्मान का सबसे बड़ा अधिकारी ईश्वर को स्वीकार करें। यदि आप वह सम्मान ईश्वर को समर्पित कर देंगे, तो आपको बहुत आनन्द मिलेगा।”*
*”इस प्रकार से यदि आप अपने जीवन का प्रबंधन करें, ईश्वर को साक्षी मानकर सब कार्य करें। प्रतिदिन ओम् नाम से अथवा गायत्री मंत्र के माध्यम से ईश्वर का ध्यान करें, तो आपको ईश्वर बहुत शक्ति देगा, और आप ये सब काम कर सकेंगे, जो ऊपर बताए हैं। तब आप अपने जीवन को व्यवस्थित और सुखमय बना सकेंगे।”